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delhi, India
I m a prsn who is positive abt evry aspect of life. There are many thngs I like 2 do, 2 see N 2 experience. I like 2 read,2 write;2 think,2 dream;2 talk, 2 listen. I like to see d sunrise in the mrng, I like 2 see d moonlight at ngt; I like 2 feel the music flowing on my face. I like 2 look at d clouds in the sky with a blank mind, I like 2 do thought exprimnt when I cannot sleep in the middle of the ngt. I like flowers in spring, rain in summer, leaves in autumn, freezy breez in winter. I like 2 be alone. that’s me

Monday, September 10, 2012

वो टुकड़ा धूप का...


मैने सुबह उठते ही घर के सारे दरवाजे खिड़की खोल दिए थे, कुछ देर बाद ही तेज हवा घर से आर पार हो रही थी। हवा का पर्र्दों के साथ लुका-छिपी का खेल चल रहा था पूरे घर में, खिड़की और बॉलकोनी में लगे विंड चाइम भी हवा के साथ अठखेलियां कर रहे थे। तुम्हारा मूड उस दिन बहुत अच्छा था और मेरा खराब, पता नहीं उदासी लग रही थी उस सुबह में मुझे। तुम ऑफिस चले गए, मैने भी कुछ नहीं कहा था, ज्यादा बात भी नहीं की।
बेचैनी को समझ नहीं पा रही थी..किताबों के साथ बैठ गई दिल बहलाने सोफे पर ही बैठे आंख लग गई। उस दिन तुम जल्दी आ गए थे घर, मै चुप थी, तुमने भी मुझसे कुछ खास बात करने की कोशिश नहीं की। काफी देर हो गई थी अब, तुम्हे देखने बेडरूम की तरफ गई, खिड़की खुली थी, धूप का एक टुकड़ा अंदर झांक रहा था, लेकिन थोड़ी-थोड़ी देर में टुकड़ा छोटा हो रहा था। तुम वहीं बेड पर खामोशी से बैठे थे, मै वहीं पास जाकर बैठ गई तुम्हारे...थोड़ी देर बैठे रहे दोनों...चुपचाप... तुम थोड़ी देर बाद उठे, तुमने अपना हाथ दिया और मुझे डांस के लिए बुलाया मै कुछ समझ नहीं पाई। तुम उसी धूप के टुकड़े पास ले गए मुझे जो धीरे-धीरे छोटा हो रहा था। अचानक मेरे कान में तुमने धीरे से कहा, हमें इसी टुकड़े पर डांस करना है ये जितना छोटा होगा, हम उतने ही पास होंगे। मै सिर्फ तुम्हें देख रही थी और उस धूप के टुकड़े को भी, लग रहा था मानों दोनों ने साथ में तैयारी की थी। अब टुकड़ा बहुत छोटा हो गया था और हम दोनों बहुत पास थे, एक-दूसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे पहले कभी नहीं देखा हो। तुम अचानक बोले मुस्कुरा के जल्दी से बॉय बोलो इस धूप के टुकड़े को नहीं तो नाराज होकर कल आएगा नहीं....मैने देखा सच में एक लकीर भर थी अब जो किसी भी वक्त ओझल हो जाती...दोनों मुस्कुराए...वो टुकड़ा हमें साथ में छोड़कर चला गया था...

39 comments:

  1. :-)
    याने इस बार बहाना धूप का था ?????

    चालबाज़ कही के दोनों.....
    फिर भी..
    ढेर सा प्यार
    अनु

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  2. मिलन होना तय हो तो बहाने अपने आप मिलने लगते हैं ...
    कभी कभी उदासी एक हलकी सी खुशी के साथ उड़ने लगती है ... किसी खास अपने का साथ ये सब करता है ... यस सच कहो तो करवाता भी है ...

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  3. बहुत सुंदर
    पढ़ना शुरू किया तो रुकने का मन ही नहीं हुआ।

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    1. शुक्रिया महेन्द्र जी :)

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  4. http://vyakhyaa.blogspot.in/2012/09/blog-post_12.html

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  5. वाह ... बेहतरीन

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  6. ahaa...filled with love...beautiful :)

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  7. Replies
    1. शुक्रिया संगीता जी :)

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  8. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 13-09 -2012 को यहाँ भी है

    .... आज की नयी पुरानी हलचल में ....शब्द रह ज्ञे अनकहे .

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  9. जिसे जरा सी बात समझा वह कतनी बड़ी निकली !

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  10. बेहद सुन्दर रचना , क्या कहना

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  11. धूप का टुकडा
    बना बहाना
    प्यार का ।

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  12. इस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें.
    कृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen " की नवीनतम पोस्ट पर पधारकर अपना स्नेह प्रदान करें, आभारी होऊंगा .

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  13. I loved the title. Reminds you some good old times. Very nice narration, quite contemporary. BTW, the hearts flying on the right side are very cute.

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  14. Beautiful, Mahi. Lovely descriptions too. :)

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  15. dhup me tap kar hi mitti badal ko banati hai.
    or aap bhi dhup me apna pyar bada rahe ho

    lovely.

    meri post kuch aise hi swal liye. KYUN????

    http://udaari.blogspot.in

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  16. अरे.....कितना खूबसूरत पल....वाह :) :)

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  17. लिखने का सलीका मन को भा गया ..आपके लिखने का अंदाज बहुत गजब का है।
    ".वो टुकड़ा हमें साथ में छोड़कर चला गया था..." वाह .. :)

    आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा।मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत हैं।अगर आपको अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।धन्यवाद !!

    घर कहीं गुम हो गया

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  18. Very well written post..

    I like it.. The way you tell the story is very impressive..

    Liked the line : ke is tarah wo dhoop ka tukda hume sath chhor kar chala gaya..

    Very nice blog..

    Happy Life Mahi! :)

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  19. WOW.. How thoughtful and romantic.. Very well written piece..

    Good one Mahi.

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