About Me

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delhi, India
I m a prsn who is positive abt evry aspect of life. There are many thngs I like 2 do, 2 see N 2 experience. I like 2 read,2 write;2 think,2 dream;2 talk, 2 listen. I like to see d sunrise in the mrng, I like 2 see d moonlight at ngt; I like 2 feel the music flowing on my face. I like 2 look at d clouds in the sky with a blank mind, I like 2 do thought exprimnt when I cannot sleep in the middle of the ngt. I like flowers in spring, rain in summer, leaves in autumn, freezy breez in winter. I like 2 be alone. that’s me

Sunday, July 29, 2012

क्या तुम्हें याद है?


मेरी हमेशा से समय से पहले पहुंचने की आदत और तुम्हारी हमेशा देर से आने की आदत...हर मुलाकात में तुम्हारे देरी की शिकायत और नाराजगी। तुम हमेशा कहते तुम देर से क्यों नहीं पहुंचती, लड़कियां तो हमेशा इंतजार करवाती है। तुम्हारे डांट के डर से कितना भी जल्दी करूं फिर भी तुमसे पीछे ही रह जाता हूं। ...लेकिन इतने सालों में भी मै तुम्हारी आदत नहीं सुधार पाई।
तम्हें याद है वो दिन जब हमें लंच के लिए मिलना था...और घर से निकलने से पहले मैने बार-बार कहा था कि आज देर मत करना वरना मै इस बार रेस्टोरेंट के अंदर नहीं बाहर ही इंतजार करूंगी चाहे कुछ हो जाए...और तुमने कहा था अरे जान फिक्र मत करो बस उड़कर पहुंचता हूं तुम्हारे पास...तय समय पर मै पहुंच गई...लेकिन तुम तो हमेशा की तरह गायब थे...मैने भी ठान ली थी आज अंदर तो जाना नहीं है चाहे कुछ हो जाए।
थोड़ी देर बाद आसमान में काली घटाएं छाने लगी तेज बारिश होने वाली थी...मुझे पहुंचे अब आधा घंटा हो चुका था...मैने फोन निकाला और मिलाया, सीधा पूछा कहां हो? अब मै निकल रही हूं। तुमने कहा बस पहुंच गया हूं तुम्हारे लिए कुछ लेने गया था। अब तेज बारिश शुरू हो गई थी...लेकिन जिद में मै बाहर ही खड़ी होकर भीग रही थी, इतने में तुम आए, और तुम्हारा रटा हुआ डायलॉग बहुत देर से इंतजार कर रही हो ना माही? गुस्सा तो बहुत आ रहा था, तुम भी इस बात को समझ रहे थे। मैने गुस्से में पूछा मेरे लिए कुछ लाने में देर हुई ना क्या लाए दो मुझे....तुम मेरा हाथ पकड़कर थोड़ा आगे चले मेरे बैग से छतरी निकालकर खोली और बोले देखो जितनी बारिश की बूंदें हैं ना इतनी खुशियां लाया हूं तुम्हारे लिए...अब गिन लो तुम...इतना सुनते ही मेरे चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई...क्या तुम्हें याद है अनगिनत बूंदों वाली खुशियां??

Wednesday, July 25, 2012

नीला आसमां सो गया...


सामान्य दिन से अलग थी कल की शाम, अजीब एकदम...खामोश! मै बार-बार उसका फोन मिला रही थी, एक बार भी कोई जवाब नहीं मिल रहा था। ऑफिस में भी फोन किया किसी को कोई जानकारी नहीं...मन डरा हुआ था, पूरा दिन गुजर गया था, एक बार  भी कोई बात नहीं। मौसम अपने हिसाब ने नर्म-गर्म हो रहा था....उसमें भी बेचैनी थी। मन जानता था क्या चल रहा है...कहीं न कहीं कई सालों से इस बात का अंदाजा था...लेकिन पागल है ना क्या करें मानना ही नहीं चाह रहा था। 
अभी उधेड़बुन में ही थी कि शाम की अजान सुनाई पड़ी। अब मुझसे और नहीं रहा जा रहा था। घर में कोई नहीं था, बार-बार फोन मिलाकर मेरी अंगुलियां भी थक रही थीं। आसमां गहरे नीला रंग ओढ़े फैला हुआ था, अब बाहर अंधेरा था। मेरी नजरें अब भी फोन पर थीं लेकिन फोन ने भी जैसे खामोशी पी ली हो...मन में इतनी बेचैनी, गुस्सा भी..क्या एक फोन नजर नहीं आ रहा? अब मै किताबों से मन बहलाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन एक भी अक्षर पर नजर नहीं ठहर रही थी। दिल की धड़कन इतनी तेज कि मानो अभी बाहर आ जाएगा दिल। फोन बजा...मेरा सीधा सवाल मेरा एक भी फोन नहीं दिखा? शायद उसे मेरा एक शब्द नहीं सुनना था...और कहा...मान जाओ...सब बिखरने से पहले मान जाओ..तुम्हारे अकेले की कोशिश से परंपराएं नहीं टूटेंगी...शाम की खामोशी मुझे अब समझ आ रही थी, एक गहरी बात लिए वो खामोशी मेरे सामने थी...नीला आसमां भी अब सो चुका था...

Monday, July 16, 2012

भीग रही थी यादों में...

clicked by: Mahi S 
तेज़ बारिश मानो मुझे अपने साथ कहीं ले जाना छह रही थी...बहुत दूर कहीं...छाता था साथ में, लेकिन बारिश की बूंदे उन दिनों के एहसास को जीने कह रही थीं. सच ही तो तेज़ हवाओं और आसमान से बरसते पानी ने सब कुछ याद दिला दिया. तुम्हारे साथ बारिश में भीगना।..जानबूझकर तेज़ बारिश में कार से बहार निकलना और मुझे भी बारिश में खींचना...घर की बालकोनी में खड़े होकर उजले आसमान को देखना और एक दुसरे की और देखकर बिना बोले ही मुस्कुराना...तुम्हारे बार बार ऑफिस से निकलने की जिद करना और मेरा कहना की कैसे आऊं बॉस मौसम की भाषा समझता ही नही है...फिर भी तुम्हारा घंटों ऑफिस के बहार मेरे लिए इंतज़ार करना..मेरे आने पर सीसीडी में साथ बैठकर कॉफ़ी पीना...घर लौटे वक़्त इंडिया गेट में हाथों में हाथ डाले टहलना और ठंडी हवा क बीच एक ही भुट्टे को खाना...कुछ ख़ास तो था उन दिनों में.....

और आज....

बारिश भी वहीँ है हम-तुम भी वही लेकिन बारिश की बातें महज़ एक sms से हो जाती है...फोन करके  थोड़ी बात...या फिर मेरे फोन करने पर तुम्हारा कहना थोडा बिजी हूँ अभी तुम्हे फोन करता हूँ।..और बाद में जब तुम्हारा फोन आता भी है तो बारिश की वो ठंडक उमस बन चुकी होती है....न तो वोह बालकोनी है न तुम दिल्ली में...तुम्हारा कहना ठीक है वक़्त क साथ रिश्ता मज़बूत होता है...चीज़ें बदलती हैं, गंभीर होती हैं...लेकिन मेरे लिए तो वक़्त वही था...बारिश.. इंडिया गेट.. कॉफ़ी.. इंतज़ार..भुट्टा...बालकोनी...कुछ तो ख़ास था उन दिनों में...या तो वक़्त ख़ास था या फिर बारिश!!!

Sunday, July 15, 2012

खूबसूरत ख्वाब



Beautiful Venice
कितना खूबसूरत शहर है ना शारिक...बोला था तुमसे कुछ खास है इस जगह में तुम मान ही नहीं रहे थे। ऐसे-ऐसे इसे रोमांटिक शहर नहीं कहा जाता है...गंडोला में बैठकर वेनिस की शाम मानों और खूबसूरत दिख रही थी, एक-दूसरे का साथ वक्त को और खूबसूरत बना रहा था। पानी में तैरता ये शहर न जाने कितनी ही बातें कर रहा था। हम दोनों गंडोला में सवार पता नहीं कितनी ही दूर निकल आए थे...मै बीच-बीच में शहर की जानकारी दे रही थी। अब हम वेनिस का सनसेट देख रहे थे..पानी के ऊपर नाव में डूबते सूरज का नजारा अद्भुत था...समझ आ रहा था इसकी खूबसूरती के इतने चर्चे क्यों है...इस शहर का सबकुछ खास। वेनिस के सफर ने हम दोनों का मानों और करीब कर दिया था...पानी की चादर ओढ़े यह शहर मानों हर प्यार करने वालों के स्वागत के लिए खड़ा था....



तेज रिंग टोन की आवाज कुछ परेशान कर रही थी...दो बार अनसुना किया लेकिन फिर भी...उफ!!! ओह....ये क्या फोन तो शारिक का बज रहा है और मै वेनिस नहीं अपने कमरे में थी...गंडोला में बैठे वेनिस में शाम की ठंडी हवा का लुत्फ नहीं बल्कि मेरे कमरे की एसी की ठंडक थी :P :P.....उठकर इतनी जोर से हंसी आई :) :)...फोन मिलाया साहब को, बताया खूबसूरत ख्वाब और उनका जवाब माही...तुम और तुम्हारे ख्वाबों की दुनिया... मैने आंख बंद की और चुपचाप ऊपरवाले से कहा...छोटा सा ख्वाब है वेनिस का सफर साहब के साथ..... Plzzzzz :D

Friday, July 6, 2012

बर्थ डे :D :D

my cake 
किसी भी छोटे बच्चे की तरह मेरे अंदर भी बर्थडे को लेकर खास एक्साइटमेंट रहता है। बता दूं कि मेरा बर्थडे हाल ही में गया है। 21 जून को Smiling Angel दुनिया में आई थी। :) :)
 एक महीने पहले से बर्थडे की तारीख गिनना, बर्थडे के लिए खास ड्रेस, मेरी पसंद का बर्थडे केक जो घरवाले लाते हैं, मम्मी का बनाया हुआ मेरी पसंद का खाना, एक रात पहले आधी रात को आने वाले सबके फोन और मेरा फोन पर खुश होकर सबको थैंक्यू थैंक्यू कहना....ये सब बचपन से लेकर अब तक चल रहा है और मेरे एक्साइटमेंट में कहीं कोई कमी नहीं आई। :) :) 
@ water park
इस बार भी गिनती उल्टी शुरू की, सब हुआ लेकिन पिछले कुछ सालों की तरह साहब से ठीक बर्थ डे से पहले छोटी बात को लेकर खटपट ने मूड का कबाड़ा कर दिया। बात छोटी थी कि तुम 20 जून को ही दिल्ली आओ और उसका कहना था कि अम्मी-अब्बी आए हैं तो मै 21 को ही आऊंगा उसी दिन साथ रहेंगे। बस अब क्या था आधा एक्साइटमेंट तो चला गया था। गुस्से में मैने 20 की रात को मोबाइल फोन भी बंद कर दिया, लैंड फोन की भी तार निकाल दी। गुस्सा उससे बात किसी से नहीं। :(
खैर रात के 12 बजते ही मेरी नाक को मेरे फेवरेट केक की खुशबू लग गई, हर साल इंतजार करती थी इस साल झगड़े में भूल ही गई कि मेरा केक घर में आ चुका है। खूब हल्ला हंगामे के साथ मां, पापा, भइया और मेरा ममेरा भाई केक के साथ खड़े थे। अचानक चेहरे पर मुस्कान आ गई। फोन बंद ही था, बहुत घंटे बाद जब ऑन किया तो देखा बर्थडे मैसेज के अंबार लग गए थे, उनमें से एक शारिक साहब का भी था, साथ में लिखा था सुबह जल्दी घर से निकलकर गुडग़ांव आ जाना मै वहां पहुंच जाऊंगा। मन तो किया कि ना जाऊं लेकिन दिल को क्या समझाती। ऑफिस से भी छुट्टïी ले ली थी, सुबह घर से जल्दी निकली और कनॉट प्लेस पहुंच गई। वहां मेरी सबसे अच्छी दोस्त भी पहुंची, उसे भी मैने गुडग़ांव साथ चलने कहा। हम गुडग़ांव पहुंचे, शारिक भी पहुंच चुका था, गुस्से में थी लेकिन उसे देखकर हंसी नहीं रूकी। खैर, जून में बर्थ डे होने की शिकायत शारिक को हमेशा रहती है और मेरा जवाब होता है इसमें मै क्या करूं? :P :P 
my favourite chinese food
तो जून की सड़ी गर्मी में हम लोगों को बर्थ डे सेलिब्रेट करने की सबसे अच्छी जगह वाटर पार्क लगी, हम तीनों थोड़ी देर में फन एंड फूड विलेज पहुंच गए। वहां जाकर कॉस्ट्यूम लिया और थोड़ी देर में वॉटर पूल में उतर गए। तेज म्यूजिक चल रहा था, शारिक ने मुझे अचानक अपनी तरफ खींचा, मेरे कानों के पास आकर बोला माही... हैप्पी बर्थ डे...मै मुस्कुराई...अचानक सोचा रात से न जाने कितने लोग ही फोन कर रहे हैं लेकिन ये एक विश इन कुछ सालों में कितनी खास बन गई है। :) 
शाम तक वहां जमकर मौज मस्ती करने के बाद हम लोग डिनर के लिए एमजीएफ मॉल पहुंचे। डिनर चाइनीज करना था तो हम यो चाइना चले गए, वहां बैठते ही याद आया कि मैने पिछले साल भी डिनर यो चाइना में ही किया था लेकिन जयपुर में...